What is number system (संख्या पद्धति) ?
A number system is a system of writing for expressing numbers. It is the mathematical notation for representing numbers of a given set by using digits or other symbols in a consistent manner. It provides a unique representation to every number and represents the arithmetic and algebraic structure of the figures. It also allows us to operate arithmetic operations like addition, subtraction, and division.
प्राकृत संख्याएँ: वस्तुओं को गिनने के लिए जिन संख्याओं का प्रयोग किया जाता है, उन संख्याओं को गणन संख्याएँ या प्राकृत ‘संख्याएँ’ कहते हैं।
जैसे- 1, 2, 3, 4, 5, ………..
पूर्ण संख्याएँ: प्राकृत संख्याओं में शून्य को सम्मिलित करने पर जो संख्याएँ प्राप्त होती हैं उन्हें ‘पूर्ण संख्याएँ’ कहते हैं।
जैसे- 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ………….
पूर्णांक संख्याएँ: प्राकृत संख्याओं में शून्य एवं ऋणात्मक संख्याओं को भी सम्मिलित करने पर जो संख्याएँ प्राप्त होती हैं, उन्हें ‘पूर्णांक संख्याएँ’ कहते हैं।
जैसे- ……… -3, -2, -1, 0, 1, 2, 3, ……
सम संख्याएँ: वे संख्याएँ जो 2 से पूर्णतः विभाजित हो जाती हैं उन्हें ‘सम संख्याएँ’ कहते हैं। इस प्रकार 2, 4, 8, 6, 26 …….. आदि ‘सम संख्याएँ’ हैं।
विषम संख्याएँ: वे संख्याएँ जो 2 से पूर्णतः विभाजित नहीं होती हैं उन्हें ‘विषम संख्याएँ कहते हैं।
जैसे- 1, 3, 5, 11, 17, 29, 39 …….. आदि ‘विषम संख्याएँ’ हैं।
अभाज्य संख्याएँ: वे संख्याएँ जो स्वयं और 1 के अतिरिक्त अन्य किसी भी संख्या से विभाजित नहीं हो उन्हें ‘अभाज्य संख्याएँ’ कहते हैं।
जैसे- 2, 3, 7, 11, 13, 17 ………. आदि ‘अभाज्य संख्याएँ’ हैं। ‘1’ एक विशेष संख्या है जो न तो अभाज्य संख्या है और न ही भाज्य संख्या है।
भाज्य संख्याएँ: वे संख्याएँ जो स्वयं और 1 के अतिरिक्त अन्य किसी संख्या से पूर्णतः विभाजित हो जाती है तो उसे भाज्य संख्या कहते हैं।
जैसे- 4, 6, 8, 9, 10, …………
परिमेय संख्याएँ: वे संख्याएँ जिन्हें p/q के रूप में लिखा जा सके ‘परिमेय संख्याएँ’ कहलाती हैं जहाँ p और q दोनों पूर्णांक हो लेकिन q कभी शून्य न हो।
जैसे- 4, 3/4, 0 ……… आदि ‘परिमेय संख्याएँ’ हैं।
अपरिमेय संख्याएँ: वे संख्याएँ जिन्हें p/q के रूप में न लिखा जा सके अपरिमेय संख्याएँ कहलाती है। जहाँ p और q दोनों पूर्णांक हो लेकिन q कभी शून्य न हो।
जैसे- …… आदि अपरिमेय संख्याएँ हैं।
वास्तविक संख्याएँ: वे संख्याएँ जो या तो परिमेय हैं अथवा अपरिमेय ‘वास्तविक संख्याएँ’ कहलाती हैं।
जैसे- 8, 6, 2 + , 3/5, …….. आदि वास्तविक संख्याएँ हैं।
सह-अभाज्य संख्याएँः ऐसी संख्याओं के जोड़े जिनके गुणनखण्डों में 1 के अतिरिक्त कोई भी उभयनिष्ठ गुणनखण्ड न हो उन्हें ‘सह-अभाज्य संख्याएँ’ कहते हैं। जैसे- 16, 21 में 1 के अतिरिक्त अन्य कोई उभयनिष्ठ गुणनखण्ड नहीं है।
युग्म-अभाज्य संख्याएँ: ऐसी अभाज्य संख्याएँ जिनके बीच का अंतर 2 हो ‘युग्म-अभाज्य संख्याएँ’ कहलाती हैं। जैसे- 11, 13 युग्म-अभाज्य संख्याएँ हैं।
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