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Saturday, May 16, 2020

Number System (संख्या पद्धति)

Number System (संख्या पद्धति) I maths chapter number system)

What is number system (संख्या पद्धति) ?

A number system is a system of writing for expressing numbers. It is the mathematical notation for representing numbers of a given set by using digits or other symbols in a consistent manner. It provides a unique representation to every number and represents the arithmetic and algebraic structure of the figures. It also allows us to operate arithmetic operations like addition, subtraction, and division.

Number System (संख्या पद्धति)

Number System (संख्या पद्धति) 



प्राकृत संख्याएँ: वस्तुओं को गिनने के लिए जिन संख्याओं का प्रयोग किया जाता है, उन संख्याओं को गणन संख्याएँ या प्राकृत ‘संख्याएँ’ कहते हैं।

जैसे- 1, 2, 3, 4, 5, ………..


पूर्ण संख्याएँ: प्राकृत संख्याओं में शून्य को सम्मिलित करने पर जो संख्याएँ प्राप्त होती हैं उन्हें ‘पूर्ण संख्याएँ’ कहते हैं।

जैसे- 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ………….

पूर्णांक संख्याएँ: प्राकृत संख्याओं में शून्य एवं ऋणात्मक संख्याओं को भी सम्मिलित करने पर जो संख्याएँ प्राप्त होती हैं, उन्हें ‘पूर्णांक संख्याएँ’ कहते हैं।

जैसे- ……… -3, -2, -1, 0, 1, 2, 3, ……

सम संख्याएँ: वे संख्याएँ जो 2 से पूर्णतः विभाजित हो जाती हैं उन्हें ‘सम संख्याएँ’ कहते हैं। इस प्रकार 2, 4, 8, 6, 26 …….. आदि ‘सम संख्याएँ’ हैं।

विषम संख्याएँ: वे संख्याएँ जो 2 से पूर्णतः विभाजित नहीं होती हैं उन्हें ‘विषम संख्याएँ कहते हैं।

जैसे- 1, 3, 5, 11, 17, 29, 39 …….. आदि ‘विषम संख्याएँ’ हैं।

अभाज्य संख्याएँ: वे संख्याएँ जो स्वयं और 1 के अतिरिक्त अन्य किसी भी संख्या से विभाजित नहीं हो उन्हें ‘अभाज्य संख्याएँ’ कहते हैं।

जैसे- 2, 3, 7, 11, 13, 17 ………. आदि ‘अभाज्य संख्याएँ’ हैं। ‘1’ एक विशेष संख्या है जो न तो अभाज्य संख्या है और न ही भाज्य संख्या है।

भाज्य संख्याएँ: वे संख्याएँ जो स्वयं और 1 के अतिरिक्त अन्य किसी संख्या से पूर्णतः विभाजित हो जाती है तो उसे भाज्य संख्या कहते हैं।

जैसे- 4, 6, 8, 9, 10, …………

परिमेय संख्याएँ: वे संख्याएँ जिन्हें p/q के रूप में लिखा जा सके ‘परिमेय संख्याएँ’ कहलाती हैं जहाँ p और q दोनों पूर्णांक हो लेकिन q कभी शून्य न हो।

जैसे- 4, 3/4, 0 ……… आदि ‘परिमेय संख्याएँ’ हैं।

अपरिमेय संख्याएँ: वे संख्याएँ जिन्हें p/q के रूप में न लिखा जा सके अपरिमेय संख्याएँ कहलाती है। जहाँ p और q दोनों पूर्णांक हो लेकिन q कभी शून्य न हो।

जैसे-  …… आदि अपरिमेय संख्याएँ हैं।

वास्तविक संख्याएँ: वे संख्याएँ जो या तो परिमेय हैं अथवा अपरिमेय ‘वास्तविक संख्याएँ’ कहलाती हैं।

जैसे- 8, 6, 2 + , 3/5, …….. आदि वास्तविक संख्याएँ हैं।

सह-अभाज्य संख्याएँः ऐसी संख्याओं के जोड़े जिनके गुणनखण्डों में 1 के अतिरिक्त कोई भी उभयनिष्ठ गुणनखण्ड न हो उन्हें ‘सह-अभाज्य संख्याएँ’ कहते हैं। जैसे- 16, 21 में 1 के अतिरिक्त अन्य कोई उभयनिष्ठ गुणनखण्ड नहीं है।

युग्म-अभाज्य संख्याएँ: ऐसी अभाज्य संख्याएँ जिनके बीच का अंतर 2 हो ‘युग्म-अभाज्य संख्याएँ’ कहलाती हैं। जैसे- 11, 13 युग्म-अभाज्य संख्याएँ हैं।

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